MIR TAQI MIR !! HINDI SHAYARI !!
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MIR TAQI MIR !! HINDI SHAYARI !!
आखिर काम तमाम किया
❤उल्टी हो गईं सब तदबीरें कुछ न दवा ने काम किया
देखा इस बीमारी-ए-दिल ने आखिर काम तमाम किया ❤
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आगे आगे देखिए होता है क्या
❤राह-ए-दूर-ए-इश्क में रोता है क्या
आगे आगे देखिए होता है क्या ❤
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खाक इनतिहा है ये
❤आग थे इब्तिदा-ए-इश्क में हम
अब जो हैं खाक इंनतिहा है ये ❤
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फिर मिलेंगे अगर खुदा लाया
❤अब तो जाते हैं बुत-कदे से मीर
फिर मिलेंगे अगर खुदा लाया❤
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बाग तो सारा जाने है
❤पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है
जाने न जाने गुल ही न जाने बाग तो सारा जाने है ❤
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पंखुड़ी इक गुलाब की सी है
❤नाजुकी उस के लब की क्या कहिए
पंखुड़ी इक गुलाब की सी है ❤
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हमें आप से भी जुदा कर चले
❤दिखाई दिए यूँ कि बे-खुद किया
हमें आप से भी जुदा कर चले ❤
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चाहते हैं सो आप करें हैं हम को अबस बदनाम किया
❤नाहक हम मजबूरों पर ये तोहमत है मुख्तारी की
चाहते हैं सो आप करें हैं हम को अबस बदनाम किया❤
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रोते फिरते हैं सारी सारी रात
❤रोते फिरते हैं सारी सारी रात
अब यही रोजगार है अपना ❤
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अभी टुक रोते रोते सो गया है
❤सिरहाने मीर के कोई न बोलो
अभी टुक रोते रोते सो गया है ❤
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तेरी आँखों को भी क्या क्या न कहे है
❤पैमाना कहे है कोई मय-खाना कहे है
दुनिया तेरी आँखों को भी क्या क्या न कहे है ❤
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आदमी होना तो मुश्किल है मियाँ
❤मीर साहब तुम फरिश्ता हो तो हो
आदमी होना तो मुश्किल है मियाँ ❤
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देर से इंतिजार है अपना
❤बे-खुदी ले गई कहाँ हम को
देर से इंतिजार है अपना ❤
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पर हमें उन में तुम्हीं भाए बहुत
❤फूल गुल शम्स ओ कमर सारे ही थे
पर हमें उन में तुम्हीं भाए बहुत ❤
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ये नगर सौ मर्तबा लूटा गया
❤दिल की विरानी का क्या मजकूर है
ये नगर सौ मर्तबा लूटा गया ❤
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दिल हुआ है चिराग मुफलिस का
❤शाम से कुछ बुझा सा रहता हूँ
दिल हुआ है चिराग मुफलिस का ❤
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नादान फिर वो जी से भुलाया न जाएगा
❤याद उस की इतनी खूब नहीं मीर बाज आ
नादान फिर वो जी से भुलाया न जाएगा ❤
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कब ये तुझ ना-तवाँ से उठता है
❤इश्क इक मीर भारी पत्थर है
कब ये तुझ ना-तवाँ से उठता है ❤
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खाक के पर्दे से इंसान निकलते हैं
❤मत सहल हमें जानो फिरता है फलक बरसों
तब खाक के पर्दे से इंसान निकलते हैं ❤
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बेवफाई पे तेरी जी है फिदा
❤बेवफाई पे तेरी जी है फिदा
कहर होता जो बा-वफा होता ❤
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दिल-ए-सितम-जदा
❤हमारे आगे तिरा जब किसू ने नाम लिया
दिल-ए-सितम-जदा को हम ने थाम थाम लिया ❤
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ऐसा कुछ कर के चलो याँ कि बहुत याद रहो
❤बारे दुनिया में रहो गम-जदा या शाद रहो
ऐसा कुछ कर के चलो याँ कि बहुत याद रहो❤
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आराम-तलब
❤होगा किसी दीवार के साए में पड़ा श्मीरश्
क्या काम मोहब्बत से उस आराम-तलब को❤
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मुद्दआ हम को इंतिकाम से है
❤कोई तुम सा भी काश तुम को मिले
मुद्दआ हम को इंतिकाम से है ❤
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उस की जुल्फों के सब असीर हुए
❤हम हुए तुम हुए कि मीर हुए
उस की जुल्फों के सब असीर हुए❤
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बज्म
❤वो आये बज्म में इतना तो मीर ने देखा
फिर उसके बाद चिरागो में रौशनी ही नहीं रही❤
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आशिकी
❤फिरते है मीर अब कहाँ ,कोई पूछता नहीं
इस आशिकी में इज्जत सादात भी गयी❤
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अजीज
❤शर्मिंदा होंगे , जाने भी दो इम्तिहान को
रखेगा तुम को कौन अजीज , अपनी जान से❤
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देर से इंतजार है अपना
❤बेखुदी ले गयी कहाँ हम को
देर से इंतजार है अपना❤
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सारी -सारी रात
❤रोते फिरते हैं सारी -सारी रात
अब यही रोजगार है अपना❤
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इख्तियार है अपना
❤दे के दिल हम जो हो गए मजबूर
इसमें क्या इख्तियार है अपना❤
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दिलों का गुबार
❤जिसको तुम आसमान कहते हो “मीर“
वो दिलों का गुबार है अपना❤
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इश्क माशूक इश्क आशिक है
❤क्या कहूँ तुम से मैं के क्या है इश्क
जान का रोग है , बला है इश्क❤
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इश्क ही इश्क
❤इश्क ही इश्क है जहां देखो
सारे आलम में भर रहा है इश्क .❤
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इश्क माशूक
❤इश्क माशूक इश्क आशिक है
यानी अपना ही मुब्तला है इश्क❤
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तर्ज -ओ -तौर
❤इश्क है तर्ज -ओ -तौर इश्क के ताईं
कहीं बंदा कहीं खुदा है इश्क ❤
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आरजू इश्क व मुद्दा है इश्क
❤कौन मकसद को इश्क बिन पहुँचा
आरजू इश्क व मुद्दा है इश्क❤
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जीन्स-ऐ-नरवा है इश्क
❤कोई ख्वाहाँ नहीं मोहब्बत का
तू कहे जीन्स-ऐ-नरवा है इश्क❤
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“मीर” जी जर्द होते जाते हैं
❤“मीर” जी जर्द होते जाते हैं
क्या कहीं तुम ने भी किया है इश्क❤
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इश्क ही इश्क
❤क्या कहूँ तुमसे में की क्या है इश्क
जान का रोग है , बला है इश्क
इश्क ही इश्क है जहाँ देखो
सारे आलम में भर रहा है इश्क देखो
इश्क माशूक , इश्क आशिक है
मीर जर्द होते जाते है
क्या कभी तुमने भी किया है इश्क❤
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जान है तो जहान है प्यारे
❤मीर अमदन भी कोई मरता है
जान है तो जहान है प्यारे❤
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हम जो न होंगे तो बहुत याद करोगे
❤अब कर के फरामोश तो नाशाद करोगे
पर हम जो न होंगे तो बहुत याद करोगे❤
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कि हम फकीर हुए हैं इन्हीं की दौलत से
❤अमीर-जादों से दिल्ली के मिल न ता-मकदूर
कि हम फकीर हुए हैं इन्हीं की दौलत से❤
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नाकामियों से काम लिया
❤मिरे सलीक से मेरी निभी मोहब्बत में
तमाम उम्र मैं नाकामियों से काम लिया ❤
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जिन्हें ताज-ओ-तख्त का
❤दिल्ली में आज भीख भी मिलती नहीं उन्हें
था कल तलक दिमाग जिन्हें ताज-ओ-तख्त का❤
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दर्द बे-इख्तियार उठता है
❤जब कि पहलू से यार उठता है
दर्द बे-इख्तियार उठता है❤
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इस खराबे में मिरी जान तुम आबाद रहो
❤मीर हम मिल के बहुत खुश हुए तुम से प्यारे
इस खराबे में मिरी जान तुम आबाद रहो ❤
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जान का रोग है बला है इश्क
❤क्या कहूँ तुम से मैं कि क्या है इश्क
जान का रोग है बला है इश्क❤
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उस से आँखें लड़ीं तो ख्वाब कहाँ
❤इश्क में जी को सब्र ओ ताब कहाँ
उस से आँखें लड़ीं तो ख्वाब कहाँ❤
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और भी खाक में मिला लाया
❤दिल मुझे उस गली में ले जा कर
और भी खाक में मिला लाया❤
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अब तो चुप भी रहा नहीं जाता
❤क्या कहें कुछ कहा नहीं जाता
अब तो चुप भी रहा नहीं जाता❤
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ऐब भी करने को हुनर चाहिए
❤शर्त सलीका है हर इक अम्र में
ऐब भी करने को हुनर चाहिए❤
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मजहब-ए-इश्क इख्तियार किया
❤सख्त काफिर था जिन ने पहले मीर
मजहब-ए-इश्क इख्तियार किया❤
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ले जाते दिल को खाक में इस आरजू के साथ
❤हम जानते तो इश्क न करते किसू के साथ
ले जाते दिल को खाक में इस आरजू के साथ❤
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शम-ए-हरम हो या हो दिया सोमनात का
❤उस के फरोग-ए-हुस्न से झमके है सब में नूर
शम-ए-हरम हो या हो दिया सोमनात का❤
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मुँह नजर आता है दीवारों के बीच
❤चश्म हो तो आईना-खाना है दहर
मुँह नजर आता है दीवारों के बीच❤
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उम्र-ए-रफ्ता की ये निशानी है
❤अब जो इक हसरत-ए-जवानी है
उम्र-ए-रफ्ता की ये निशानी है❤
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सो भी इक उम्र में हुआ मालूम
❤यही जाना कि कुछ न जाना हाए
सो भी इक उम्र में हुआ मालूम❤
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रंग बदन का तब देखो जब चोली भीगे पसीने में
❤गूँध के गोया पत्ती गुल की वो तरकीब बनाई है
रंग बदन का तब देखो जब चोली भीगे पसीने में❤
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मिज्गाँ तो खोल शहर को सैलाब ले गया
❤किन नींदों अब तू सोती है ऐ चश्म-ए-गिर्या-नाक
मिज्गाँ तो खोल शहर को सैलाब ले गया❤
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उन ने रो रो दिया कल हाथ को धोते धोते
❤जम गया खूँ कफ-ए-कातिल पे तिरा मीर जि-बस
उन ने रो रो दिया कल हाथ को धोते धोते❤
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होता है शौक गालिब उस की नहीं नहीं पर
❤इकरार में कहाँ है इंकार की सी सूरत
होता है शौक गालिब उस की नहीं नहीं पर❤
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सारी मस्ती शराब की सी है
❤मीर उन नीम-बाज आँखों में
सारी मस्ती शराब की सी है❤
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ऐसी जन्नत गई जहन्नम में
❤जाए है जी नजात के गम में
ऐसी जन्नत गई जहन्नम में❤
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ये हमारी जबान है प्यारे
❤गुफ्तुगू रेख्ते में हम से न कर
ये हमारी जबान है प्यारे❤
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जिसे हम ने पूजा खुदा कर दिया
❤तुझी पर कुछ ऐ बुत नहीं मुनहसिर
जिसे हम ने पूजा खुदा कर दिया❤
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ये धुआँ सा कहाँ से उठता है
❤देख तो दिल कि जाँ से उठता है
ये धुआँ सा कहाँ से उठता है❤
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पछताओगे सुनो हो ये बस्ती उजाड़ कर
❤दिल वो नगर नहीं कि फिर आबाद हो सके
पछताओगे सुनो हो ये बस्ती उजाड़ कर❤
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अपना महबूब वही है जो अदा रखता हो
❤गुल हो महताब हो आईना हो खुर्शीद हो मीर
अपना महबूब वही है जो अदा रखता हो❤
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फर हम से अपना हाल दिखाया न जाएगा
❤अब देख ले कि सीना भी ताजा हुआ है चाक
फर हम से अपना हाल दिखाया न जाएगा❤
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जैसे कोई जहाँ से उठता है
❤यूँ उठे आह उस गली से हम
जैसे कोई जहाँ से उठता है❤
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मुस्तनद है मेरा फरमाया हुआ
❤सारे आलम पर हूँ मैं छाया हुआ
मुस्तनद है मेरा फरमाया हुआ❤
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माँगना है जो कुछ खुदा से माँग
❤मीर बंदों से काम कब निकला
माँगना है जो कुछ खुदा से माँग❤
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वाइजा अपनी अपनी किस्मत है
❤तुझ को मस्जिद है मुझ को मय-खाना
वाइजा अपनी अपनी किस्मत है❤
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एक मुद्दत तक वो कागज नम रहा
❤मेरे रोने की हकीकत जिस में थी
एक मुद्दत तक वो कागज नम रहा❤
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मीर साहब भी क्या दिवाने हैं
❤इश्क करते हैं उस परी-रू से
मीर साहब भी क्या दिवाने हैं❤
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दिल लगा कर हम तो पछताए बहुत
❤जख्म झेले दाग भी खाए बहुत
दिल लगा कर हम तो पछताए बहुत❤
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हुआ था किस घड़ी उन से जुदा मैं
❤किस से दिल नहीं मिलता है या रब
हुआ था किस घड़ी उन से जुदा मैं❤
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सब हम से सीखते हैं अंदाज गुफ्तुगू का
❤बुलबुल गजल-सराई आगे हमारे मत कर
सब हम से सीखते हैं अंदाज गुफ्तुगू का❤
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मरज-ए-इश्क का इलाज नहीं
❤हम ने अपनी सी की बहुत लेकिन
मरज-ए-इश्क का इलाज नहीं❤
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दर्द-ए-दिल का हुआ न चारा हनूज
❤उम्र गुजरी दवाएँ करते मीर
दर्द-ए-दिल का हुआ न चारा हनूज❤
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सारे आलम में भर रहा है इश्क
❤इश्क ही इश्क है जहाँ देखो
सारे आलम में भर रहा है इश्क❤
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क्या जुदाई को मुँह दिखाऊँगा
❤वस्ल में रंग उड़ गया मेरा
क्या जुदाई को मुँह दिखाऊँगा❤
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आफाक की इस कारगह-ए-शीशागरी का
❤ले साँस भी आहिस्ता कि नाजुक है बहुत काम
आफाक की इस कारगह-ए-शीशागरी का❤
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उस को ये ना-तवाँ उठा लाया
❤सब पे जिस बार ने गिरानी की
उस को ये ना-तवाँ उठा लाया❤
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ये कहने की बातें हैं कुछ भी न कहा जाता
❤कहते तो हो यूँ कहते यूँ कहते जो वो आता
ये कहने की बातें हैं कुछ भी न कहा जाता❤
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जब वो आता है तब नहीं आता
❤होश जाता नहीं रहा लेकिन
जब वो आता है तब नहीं आता ❤
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दर्द ओ गम कितने किए जम्अ तो दीवान किया
❤मुझ को शायर न कहो मीर कि साहब मैं ने
दर्द ओ गम कितने किए जम्अ तो दीवान किया❤
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कि दीदार भी एक दिन आम होगा
❤मिरा जी तो आँखों में आया ये सुनते
कि दीदार भी एक दिन आम होगा❤
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अक्सर हमारे साथ के बीमार मर गए
❤जिन जिन को था ये इश्क का आजार मर गए
अक्सर हमारे साथ के बीमार मर गए❤
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देखो तो इंतिजार सा है कुछ
❤ये जो मोहलत जिसे कहे हैं उम्र
देखो तो इंतिजार सा है कुछ❤
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रुस्वा हो कर मर जावें उस को भी बदनाम करें
❤यूँ नाकाम रहेंगे कब तक जी में है इक काम करें
रुस्वा हो कर मर जावें उस को भी बदनाम करें❤
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इस में क्या इख्तियार है अपना
❤दे के दिल हम जो हो गए मजबूर
इस में क्या इख्तियार है अपना❤
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कैसा कैसा बहम क्या है इश्क
❤इश्क है इश्क करने वालों को
कैसा कैसा बहम क्या है इश्क❤
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गिर्या कुछ बे-सबब नहीं आता
❤दिल से रुखसत हुई कोई ख्वाहिश
गिर्या कुछ बे-सबब नहीं आता❤
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ये नुमाइश सराब की सी है
❤हस्ती अपनी हबाब की सी है
ये नुमाइश सराब की सी है❤
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1 Comments
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